लै भाई महिंदर तेरी घड़ी-पर हुण घरा ते नी नठणा।यानी महिंदर भाई यह लो आपकी घड़ी पर अब अपने घर से कही मत चले जाना।यह शब्द थे पँतेहडा पँचायत के प्रधान नीरज के जब उन्होंने मजाक में किया अपना वादा पूरा किया।
घुमारवीं उपमंडल के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत पँतेहड़ा के वार्ड 3 में एक ऐसा परिवार जिसमें बुजुर्ग दम्पत्ति के 2 बेटे तथा 2 बेटियां हैं। लेकिन भाग्य की विडंबना देखिए चार बच्चो में दम्पति के दोनों बेटे तथा 1 बेटी दिव्यांग और मानसिक रूप से भी बहुत कमजोर हैं। बेटे तो घर के कामों में हाथ बटा भी लेते हैं।लेकिन दिव्यांग बेटी ना तो बोल सकती है ।ना ही सही ढंग से खड़ी हो सकती है। वह पूर्णतया मानसिक रूप से कमजोर भी है।
पंचायत प्रधान नीरज शर्मा ने बताया कि बजुर्ग दम्पति के बड़े बेटे महिंदर (आयु 50 वर्ष) ने मजाक में उनसे घड़ी की मांग रखी थी। बेशक महिंदर पढ़ा लिखा नही है।फिर भी उसे घड़ियों से बेहद लगाव है ।उसके पिता किसी जमाने में दिल्ली में घड़ियों का काम
करते थे।प्रधान नीरज ने बताया कि जब भी महिंदर उनसे मिलता था तो वह घड़ी के बारे में पूछता था।और अपनी पहाड़ी बोली में पूछता की “घड़ी लंदिरी" ( यानी घड़ी लेकर आए हो)। अब अपनी व्यस्तता के कारण घड़ी की बात भूल जाता तो महिंदर को टालना पड़ता कि "तुम घर से भाग जाते हो, घर का काम नहीं करते, अगर घर से नहीं भागोगे और घर के कामों में माता पिता का सहयोग करोगे तभी
लेकर आऊंगा”.इस तरह खुद को महिंदर के सवालों से बचा लेता।
प्रधान ने बताया कि हिन्दू जागरण मंच हिमाचल प्रदेश की बैठक के
लिए राज्य स्तरीय उत्सव बिलासपुर नलवाड़ी में गया तो वहाँ पर घड़ियों की दुकान पर नजर पड़ गयी।अब महिंदर की डिमांड के अनुसार एक तो घड़ी डायल वाली होनी चाहिए और दूसरी उसमें
पटा होना चाहिए। आखिरकार काफी खोज के बाद घड़ी मिल ही गयी तो दोनों भाइयों के लिए 1 - 1 घड़ी खरीद ली।
फिर घर आकर महिंदर व उसके भाई को घड़ी पहनाकर अपना वादा पूरा कईया।ओर महिंदर को भविष्य में घर से इधर उधर न जाने की भी नशीहत दी।
पँचायत प्रधान नीरज ने बताया कि यह वादा एक प्रधान के नाते नही बल्कि समाजिक प्राणी के नाते पूरा किया।और वादा पूरा करके बहुत खुशी भी हो रही है।
Comments