जिला बिलासपुर के सुई सुराहड़ के एक व्यक्ति ने पहली बार जिले में सर्पगंधा की खेती शुरूआत की गयी है। यह एक औषधीय पौधा है। और इसका इस्तेमाल दवाइयां बनाने में होता है। व्यक्ति ने दिल्ली से चार हजार सर्पगंधा की पौध मंगवाई है। इसे करीब चार बीघा जमीन में लगाया है।
बिलासपुर जिले के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अमित कुमार खेतों में सर्पगंधा की खेती ने अपने शुरू है। उन्होंने बताया कि अप्रैल और मई में पौध लगाई है। इंटरनेट में देखकर उन्होंने इस खेती को करने का मन बनाया।उन्होंने कहा कि किसानों के लिए अपनी आर्थिकी सुदृढ़ करने के लिए आज के समय में एक से एक विकल्प मौजूद हैं। इनके सहारे वे अपनी आय बढ़ा रहे हैं और अन्य किसानों को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस दौर में औषधीय पौधों की खेती किसानों के लिए एक शानदार विकल्प के रूप में उभरी है।
सबसे अच्छी बात यह होती है कि इन पौधों की खेती में लागत काफी कम आती है, जिससे मुनाफा ज्यादा होता है। दवाई बनाने में इस्तेमाल के कारण उनकी मांग हमेशा बनी रहती है। 30 माह बाद सर्दी के मौसम में जब फसल के पत्ते झड़ जाते हैं तो पौधों को जड़ सहित उखाड़ लिया जाता है। जड़ों को साफ कर अच्छे से सूखा लिया. जाता है और उसके बाद किसान इसे बाजार में बेच सकते हैं।
पत्ते से भी दवाइयां बनती हैं। वहीं एक एकड़ में 30 किलो तक बीज निकलता है, जिसकी बाजार में कीमत प्रति किलो तीन हजार रुपये है। एक एकड़ में सर्पगंधा की खेती करने पर चार लाख रुपये तक आय हो सकती है।
बिलासपुर जिले के आयुर्वेद नोडल अधिकारी डॉक्टर अभिषेक ठाकुर ने कहा कि सर्पगंधा की खेतों करने से किसानों की आर्थिकी बढ़ोतरी होती है और यह कई प्रकार की दवाइयां बनाने के काम में आती है।
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