उपमंडल घुमारवीं के गांव करलोटी से संबंध रखने वाले तथा वर्तमान में जिला सिरमौर राज्य कर एवं आबकारी विभाग नाहन में तैनात सहायक आयुक्त शुभम धीमान का आईएएस में चयन हुआ है। शुभम का आईएएस में यह पांचवा प्रयास था। यूपीएससी द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा की यह सिविल सर्विस प्री परीक्षा 5 जून 2022 को हुई थी। उसके बाद मैंस परीक्षा 21 से 1 अक्टूबर 2022 तक हुए। साक्षात्कार 30 जनवरी से 18 मई तक हुए तथा मंगलवार को यूपीएससी द्वारा सिविल सर्विस मैंस परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया। शुभम धीमान के पिता रत्न लाल धीमान राज्य बिजली बोर्ड से सहायक अभियंता के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। जबकि माता उर्मिला धीमान गृहणी हैं। शुभम मूलत बिलासपुर जिला के घुमारवीं तहसील के करलोटी गांव के रहने वाले हैं। जोकि 2017 बेच के एचएएस रैंक में ईटीओ अधिकारी हैं। शुभम धीमान ने ईटीओ के पद पर नाहन में 27 मई 2019 को ज्वाइन किया था। इससे पहले शुभम जनवरी 2016 से जनवरी 2018 तक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में प्रोबेशनरी ऑफिसर भी रह चुके हैं। एसबीआई में प्रोबेशनरी ऑफिसर ( सहायक प्रबंधक) के तौर पर 2 वर्षों तक मध्य प्रदेश के ग्वालियर और जबलपुर में सेवाएं दी। फिर 6 महीने तक दिल्ली में आईएएस की कोचिंग ली। अब पांचवे प्रयास में आईएएस में चयन हुआ है। शुभम ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एनआईटी हमीरपुर से बीटेक किया है। शुभम धीमान ने बताया कि काफी संघर्ष के बाद वह अपने लक्ष्य पर पहुंचे हैं। इसके लिए वह अपने माता पिता तथा बहन को श्रेय देते हैं। शुभम ने बताया कि आईएएस में कौन सा रैंक और कैडर मिलेगा, अभी इसकी जानकारी नहीं है। उम्मीद है कि आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और आईआरएस में से आईएएस मिल जाए।
एम्स बिलासपुर ने महिला को दी नई जिंदगी: 30 साल पुराने बर्न कॉन्ट्रैक्चर से पीड़ित महिला की सफल सर्जरी #एम्स
घुमारवीं :- HimNews Today अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर के प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने एक असाधारण उपलब्धि हासिल की है। यहां तीन दशकों से बर्न कॉन्ट्रैक्चर (जलन से त्वचा सिकुड़ने की गंभीर समस्या) से जूझ रही एक महिला का सफल ऑपरेशन किया गया। यह केवल चिकित्सीय उपलब्धि ही नहीं, बल्कि उस महिला के जीवन में आत्मविश्वास और सामाजिक पुनर्स्थापना का नया अध्याय है। जानकारी के अनुसार, पीड़िता की गर्दन पूरी तरह जकड़ी हुई थी, जिससे उसकी सामान्य दिनचर्या और सामाजिक जीवन दोनों प्रभावित थे। आर्थिक तंगी के चलते वह वर्षों तक इलाज नहीं करवा सकी। लेकिन एम्स बिलासपुर पहुंचने पर उसे आयुष्मान भारत और हिम केयर योजनाओं के तहत निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराया गया। वही प्लास्टिक सर्जरी विभाग की विशेषज्ञ डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि सर्जरी के दौरान कई तकनीकी चुनौतियां सामने आईं, लेकिन प्लास्टिक सर्जरी टीम और एनेस्थीसिया विभाग ने मिलकर सभी जोखिमों को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया। एम्स बिलासपुर के कुल सचिव डॉ. राकेश कुमार सिंह ने कहा कि संस्थान केवल आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं ही नहीं, बल्...
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