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लोकप्रिय कवि राम लाल पाठक स्टेट आवार्ड से सम्मानित

हाल ही में बिलासपुर जिले के झंडूता विधानसभा चुनाव क्षेत्र के घण्ढीर कस्बे में स्थित माता ख़बड़ी देवी मंदिर परिसर में आयोजित राज्य स्तरीय लोकोत्सव एवं सम्मान समारोह-2021 में साहित्य एवं लोक-संस्कृति संरक्षण सम्मान प्रख्यात लोक कवि रामलाल पाठक को दिया गया । यह समारोह बिलासपुर जिले की चार अग्रणी संस्थाओं ने भाषा एवं संस्कृति विभाग के सौजन्य से आयोजित किया गया था । इससे पहले भी पाठक को अनेक संस्थाएं सम्मानित कर चुकी है । बिलासपुर जिले की निहारखन-बासला पंचायत के निहारखन-बासला (चिड़की) गांव में श्रीमती राधा देवी एवं परमानंद के घर 17 मई 1959 में जन्मे रामलाल पाठक किसी परिचय के मोहताज नहीं है । इनका संघर्षमयी जीवन लोक-संस्कृति एवं साहित्य के लिए समर्पित रहा है । ग्रामीण परिवेश की माटी में रचे-बसे श्री पाठक पहाड़ी कवि के रूप में ही ख्याति प्राप्त नहीं हैं बल्कि लोक-संस्कृति की विभिन्न विधाओं की बारीकियों को भी बखूबी जानते हैं तथा इसके संरक्षण और संबर्द्धन के लिए हमेशा सतत प्रयास करते रहे हैं । 





1978 से आकाशवाणी केंद्र शिमला से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों से जुड़े हैं । "बिलासपुरी कायर्क्रम"में कविता पाठ व अनेक विषयों पर वार्ता प्रस्तुत कर चुके हैं । ग्रामीण युवाओं के लिए होने वाले कार्यक्रमों में कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके हैं । हिमाचल प्रदेश भाषा एवं संस्कृति विभाग शिमला तथा हिमाचल कला संस्कृति एवं भाषा अकदमी शिमला द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय साहित्यक गोष्ठियों व कवि सम्मेलनों में प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर एक सौ से अधिक बार भाग लिया । 11 जुलाई से 13 जुलाई 1983 में युवा सेवाएं तथा खेल विभाग द्वारा पहली बार शिमला के गियेटी थियेटर शिमला में  आयोजित राज्य स्तरीय गैर-छात्र युवा समारोह में भाग लेकर कविता पाठ प्रतियोगिता में प्रदेश भर में दूसरा द्वतीय पुरस्कार प्राप्त किया था । भारतीय भाषा संस्थान मैसूर एवं हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकदमी शिमला के सयुक्त तत्वावधान में डलहौजी में 3 जून से 17 जून 1992 तक आयोजित हिमाचली बोलियों में संज्ञा पद पर आयोजित 15 दिवसीय कार्यशाला में भाग लेकर कहलूरी बोली में व्याकरण के कुछ भाग पर काम किया । पत्रिकाओं में इनके लेख प्रमुखता से प्रकाशित होते रहते हैं । वह एक सफल पत्रकार भी रहे हैं । जिले में होने वाले स्तरीय कार्यक्रमों में करीब साढ़े तीन दशकों से निरन्तर निर्णायक की भूमिका निभाते रहे है । भाषा विज्ञान में भी इनकी अच्छी पकड़ है । टांकरी प्रशिक्षण के उच्चतर पाठ्यक्रम में भाग  लिया है । जमनी अकदमी पानीपत हरियाणा, तरुण संंगम शिमला,  हिमोत्कर्ष साहित्य परिषद ऊना, ग्रामीण विकास सभा चनावग, युवा प्रताप मंच बिलासपुर, दावीं घाटी जन-जागरण युवक मंडल कोटला आदि अनेक संस्थाओं ने सम्मानित किया है । पाठक हिमाचल कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी शिमला के भी गैर-सरकारी सदस्य रह चुके हैं । वर्षों तक बिलासपुर जिला संस्कृति परिषद के सदस्य रह चुके हैं । बिलासपुर के जन-जीवन पर इनके कई लेख विभिन्न पत्र-पत्रिका में छपे हैं ।  सहकारिता के क्षेत्र में भी इनका सराहनीय योगदान रहा है ।

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